Sunday 8 December 2013


ल्फाज़ ग़ज़ल बन जाये
मुहब्बत ज़िन्दगी बन जाये 
दीवानगी का आलम हो ऐसा 
कि झलक भर देखने कि ख्वाहिश
जीने की जरुरत बन जाये …




मेरी ज़िन्दगी में…… ख्वाहिश है. 

मेरी ज़िन्दगी में तेरा साथ एक ख्वाहिश है,
हर ज़िन्दगी का जीना भी एक ख्वाहिश है,

आज आ गया है दौर, मौत से ज़िन्दगी को बचाने का,
मौत से ज़िन्दगी का लड़ना भी एक ख्वाहिश है,

दर- दर भटकती वो रंग- बिरंगी खुशियां ,
जिसको पाना एक ख्वाहिश है,

हर वो वस्तु जो आज हमारे मन में आती है,
उसको साकार करना एक ख्वाहिश  है,

आज लगता है हर इच्छाये हो गयी है काबू में,
पर यह सच भी एक ख्वाहिश है,


ख्वाहिशों का यह दौर चल रहा है,
लहर- लहर के मानवता के सिरहाने से ,

खो गया है मानव ख्वाहिशों के भंवर में,
हर एक है मस्त अपनी- अपनी ख्वाहिशों में,

बस एक ख्वाहिश बाकि है तेरे मिलने की
तेरा साथ रहे ज़िन्दगी भर बस यही एक ख्वाहिश है,

कभी तू भी मुझसे बिछड़ेगी यह भी एक ख्वाहिश है ,
ख्वाहिश का यह मंज़र कब खत्म होगा ,
शायद तेरे मिल जाने के बाद ………………


तेरा (ख़ुशी ) मिल जाना भी एक ख्वाहिश है,
हर ज़िन्दगी का जीना भी एक ख्वाहिश है ,

दिल कि बातों को छुपकर रखना भी एक ख्वाहिश है ,
आखिर कब खत्म होगी ये ख्वाहिश ,

यह सोचना भी एक ख्वाहिश है,
हर दिल में रहेगा प्यार हमेशा यह कहना भी एक ख्वाहिश है,
मेरी ज़िन्दगी में तेरा मिलना एक ख्वाहिश है,
                                                   ख्वाहिश है,
                                                   ख्वाहिश है सिर्फ ख्वाहिश…………………।